शनिवार, 31 जनवरी 2015

tanu thadani तनु थदानी मैं बस छटपटा गया

पाया सुकून ख्वाहिशों को , जो घटा गया !
खुशहाल हुआ ज्यों ही अपना ,मैं हटा गया !

दूरी  नहीं  मिटी , मिटायी  लाख  लकीरें  ,
लफ्जों का वो कबाड़ी,जाने क्या चटा गया !

मैं  गिन रहा था जोड़ जोड़, गल्तियां उसकी ,
आया,गले मिल कर के वो,सब कुछ घटा गया !

था प्रश्न, बनना क्या है? तो , मैंने कहा बच्चा ,
 कह तो दिया , न होगा , मैं बस छटपटा गया !

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