शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

tanu thadani तनु थदानी एक मजहब बनाते हैं


एक मजहब बनाते हैं , एक ईश्वर बनाते हैं !
हमें हैं बेचने कट्टे , चलो सबको लड़ाते हैं !

मुझे बेवकूफ तुझको बोलने का,अब नहीं मतलब,
लड़ाता मैं हूँ फिर भी फैसले , मुझसे कराते हैं !

तुम्हारी धर्म पुस्तक में , जो खंजर घूमता रहता ,
उसी की धार पे खूं के निशां ,सबको डराते हैं !

किसी मासूम की आंखों में ना,आंसू कभी आये ,
चलो मजहब को तेरे मोड़ , खिलौना बनाते हैं !







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें