रविवार, 7 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी गरं बिक गयें इक बार

गरं बिक गयें इक बार

जो हो न सका मुल्क का , वो भार ही होगा !
धरती का बोझ, धर्म का ,  विकार ही होगा !

हिन्दुत्व ओं इस्लाम तो , नफरत के जखीरे ,
भारत से जो हो प्यार तो,वो प्यार ही होगा !

तुम  लड़  रहे  भगवान के ,मकान  के  लिये ,
यूं  ही  नहीं ,ये भी तो इक,व्यापार ही होगा !

अल्लाह हमारी नस्ल का,ईश्वर तुम्हारी नस्ल,
जो  बोलता ये , अक्ल से , बीमार  ही  होगा !
                                 
काबा  में  मिले  राम  ,  बुतखाने  में  अल्लाह,
बचपन से गरं  पढ़े तो , खुदा  द्वार  ही  होगा !

जब  बैठ  भाई   संग  ,  खाओगे  खुशी  से ,
तुम  देखना  माँ  की  नज़र में,लाड़  ही  होगा !

मज़हब  की  दूकानो मे रखी , चीज नहीं हम,
गरं  बिक गयें इक बार तो , हर बार ही होगा !
                                   ------ तनु थदानी

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