सोमवार, 22 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी तुम्हारी है नहीं गल्ती

कभी  जब  देखना  वो  ट्रेन  में , झाड़ू  लगायेगा !
लगा  झाड़ू  को  वो चुपचाप, हाथों को फैलायेगा !

फिसल के शक्ल उसकी ,कद, तुम्हारी आँख नापेगी ,
तेरा बच्चा नहीं तब भी तुम्हें , क्या याद आयेगा ?

किसी के पास उसके दर्द  का , मरहम  नहीं  होता ,
निगल के बालपन खुद का ,भला वो क्या बतायेगा ?

तुम्हारी  है  नहीं  गल्ती , तुम्हें  भी  है  पता ये  ही ,
कि  तेरी  आँख  लगते  ही  तेरा , जूता  चुरायेगा !

कभी  मासूमियत उसकी तुम्हें, मिल जाये ,रो लेना,
कि इससे ज्यादा तुमसे और कुछ भी, हो न पायेगा !

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