गुरुवार, 21 अगस्त 2014

tanu thadani तनु थदानी हम ढ़ूंढ़ते हैं क्यूँ भला

ना लोरियां , बाँहों का झूला , सो रहा बचपन !
न  गोद  है  सिरहाने , न  ही प्यार का आँगन  !

ईटों  पे सर रख  , भूख ओढ़ , सो रहा बच्चा ,
ये  है  नहीं  कोई  कथा  , ये  देश  का  दर्पण  !

सपनों  में  भी  मासूम, माँ  को खोजता होगा ,
हम क्यों न हों विचलित,गिरे क्यूँ न अश्रु कण!

धरती  पे  ही  जब  है  नहीं ,सुकून ओं  मंगल  ,
हम ढ़ूंढ़ते हैं  क्यूँ  भला  , मंगल में जा जीवन  ?

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