शनिवार, 2 अगस्त 2014

tanu thadani तनु थदानी काफिर ही मैं अच्छा

अल्लाह की ही सांसे हैं, मैं अल्लाह का बच्चा !
अल्लाह का सब  खेल  है , क्यूँ  खा रहे गच्चा ?

पैदल क्यूँ अकल से फिरे , धर्मों की सड़क पर,
लिख पढ़ के भी तू क्यूँ रहा ,है अक्ल से कच्चा ?

जो माँ की पूजा  करते  ही , काफिर मुझे  कहा ,
मुसलमान तुम अच्छे रहो ,काफिर ही मैं अच्छा !

ये सर- बदन- दिमाग-जात,  सब वतन की  है ,
जीया  जो वतन  के  लिये , इंसान वो  सच्चा !

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