रविवार, 9 दिसंबर 2012

जिन्दगी hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }



मिली   तभी  से  सर  पे  मेरे , मौत की चुनरी  रही ओढ़ती !
वही  जिन्दगी   संग  रही  ओं  , रिश्ते -  नाते  रही  जोड़ती ! 

खुशियों  वाली  चादर  खुद पे , मैंने  तह  कर  के रक्खी थी ,
काश ! जिन्दगी  उस  चादर  को , नहीं छेड़ती ,नहीं मोड़ती !

जिसको अपना  मान के  भीतर , पाल  रहा  था मैं  दीवाना ,
वही  जिन्दगी  मेरी   उम्र   के , घर   के   ईटे   रही  तोड़ती  !

पूरे   ही  सम्मान  से  लेना ,  देती  जो   भी  यहाँ  जिन्दगी ,
लेने  पर  जो  आ  जाये  तो ,  साँसे   तक भी  नहीं  छोड़ती ! 

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