हमारी हो ना हो मर्जी ,बहुत कुछ छूट जाता है !
हमारी उम्र - शक्ल को ,समय ही लूट जाता है !
तुम्हारी ज़िद है ओखली , अहंकार है मूसल
तुम्हारे सामने जो तुमको , अक्सर कूट जाता है!
कई बरसों में जतनों से ,जो रिश्ता ठोस है बनता,
वही रिश्ता महज इक बात से ही टूट जाता है!
गले मिलने में गंर संकोच हो , तो मुस्कुरा देना ,
महज मुस्कान से शिकवा- गिला सब फूट जाता है!
कहीं मेहंदी औ चंदा से भी , करवाचौथ है होता
सभी व्रत व्यर्थ हैं होते ,जब साजन रूठ जाता है !
--------------------------- तनु थदानी
bahut sunder rachna hai tanu ji
जवाब देंहटाएंतुम्हारी ज़िद है ओखली , अहंकार है मूसल ,
जवाब देंहटाएंतुम्हारे सामने जो तुमको , अक्सर कूट जाता है !
बहुत खूब....