मंगलवार, 18 सितंबर 2012

क्या मैं बंधक हूँ hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


हे  ईश्वर !
मझे  नहीं  याद  मैं  अंतिम   बार   कब  था   रोया  ,
जन्म  के  समय ही  रोया  था  शायद 
क्यों  कि 
उस  वक्त   किसी ने   लगाया  होगा  मुझे  गले !

आज  मैं  पुन : चाहता  हूँ  रोना 
मेरे पास नहीं   है कोई 
जो लगाये   गले 
बैठे  मेरे  पास 
मेरे  बालों  को  सहलाए 
पूरी  गृहस्थी  है 
मगर  जीवन  की  हँसी   मुझ पर  हँसती  है !

हे ईश्वर !
क्या  मैं  बंधक  हूँ  खुद   के  शरीर  का ?
क्यूँ  न  लिपटता  मुझ से  कोई ??
दिल है  कि ,  है  इक  सन्नाटा ?
क्यूँ    ना  मेरी  आँखे  रोयी ??

हे  ईश्वर !
नहीं   आ  रहा याद  मैं  अंतिम  बार  कब  था  सोया ?
बस  इन्तजार  है   इक  जोड़ी  बाहों   का 
मिल   जायेगी तो   लिपट  के सो  लुंगा 
सोने  से  पहले  जी  भर के  रो  लुंगा  !
जब  आऊँगा  पास    तुम्हारे 
तुम  मेरे  बालों  को  सहलाना 
नहीं   भेजना  इस  हृदयहीन  दुनियाँ  में  वापस !
चाहता   हूँ  खुद   के   आकार को  खोना !    
जीवन  की  जटिलताओं  में 
इक   कुटिल हँसी  तो मिल  भी   जाती है 
नहीं   मिलता  है  अंततः  निश्चल  रोना !!
----------------- तनु थदानी








  

शनिवार, 15 सितंबर 2012

हमसे कहीं हैं बेहतर


जब कोख   से  निकल  कर ,  बाहों में  माँ  की   आया !
था   नाम  तक  नहीं जब  , मजहब  मुफ़त  में   पाया !

थोडा    बड़ा   हुआ   जब  ,  चलना  जमीं    पे    सीखा ,
मस्जिद   में   कोई  पहुंचा  , मंदिर   में   कोई    लाया !

चुटिया    बनाई    लम्बी  ,  टोपी    किसी   ने   पहनी ,
गो-मांस   इक  ने   खाया , सूअर   भी   इक  ने  खाया ! 

माथे  से  पैर  तक  हम , जब   इक   से   ही   दीखे   हैं ,
दूजे   से  हम   ही   बेहतर  ,  किसने   था   ये  बताया ?

पढता   रहा   सुबह   से  ,  वो   शाम   तक    किताबें  , 
मजहब   का    कोई   मतलब  , वो   ढूंढ़   नहीं   पाया  !

पंडित    हो  या  हो  मुल्ला ,   सब   खोल  के  हैं   बैठे ,
धर्मों   का    बूचड़खाना  ,   हमें     जानवर    बनाया  !

 कपड़े   धरम - धरम  के  , तुम  ओढ़  - ओढ़   घूमे ,
 उसने   था     नंगा   भेजा , नंगा    ही   तो   बुलाया  ! 

 हमसे   कहीं    हैं    बेहतर  ,  रंगीन    ये    परिन्दें  ,  
मंदिर   में  भी  था  देखा , मस्जिद  में  भी  था  पाया !
--------------------------------------  तनु थदानी



शनिवार, 8 सितंबर 2012

इसी को प्यार हैं कहते hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }



हूँ   कश्मकश    में   चुप   रहूँ  , या   रोऊँ  अभी !
छिपा  के  दोस्त  इक  छुड़ा , गले  लगेगा अभी !

लिखूं  गज़ल  में  बार -बार,  प्यार कर  के जीयो ,
वो अंधा  अक्ल का क्या,पढ़  भी सकेगा ये कभी ?

बड़ी   मासूमियत  के   साथ , वो  नाराज़   है  यूँ  ,
बताता  है  कि  क्यूँ  न  हो ,यहाँ   अपने  हैं सभी !

क्यूँ  जिसे दिल  से ज़ुदा  कर ,  पीछे छोड़ आया ,
महकता  है  मेरी साँसों  में ,अब  भी  कभी-कभी!

इसी  को  प्यार  हैं   कहते , ये  ही  महसूस  किया ,
निकल के दिल  से वो साँसों  में, बस गया है तभी !

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

मैंने तो पिया ढूंढ़ लिया hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


जिद  की  सलीब  पे   लटक  के  ,  जो  कोई  जीया  !
न  दोस्त  ना  ही  रब  मिला ,जीवन  खतम  किया ! 

वो   दोस्त    मेरी   सादगी   पे  ,  यूँ    फ़िदा   हुआ ,
 मिलता   रहा  फिर  आँख  से , काजल चुरा लिया !

हम   दोस्तों   को   प्यार  यूँ   , करना    सिखायेंगे ,
ज्यों  दूध  में   चुपके  से  ही  , चीनी  मिला   दिया ! 

हर   जानवर   भी  जिस्म से , खुशियाँ   बटोरे   हैं  ,
जिस्मों  से  मोहब्बत किया,तो क्या अलग किया  ? 

गिरना ही  है तो  रब की ,मोहब्बत  में  गिर के देख,
 इसमें   वफ़ा   मिलेगी   ये ,   वादा   रहा    मियाँ  !

मैंने   तो   पिया     ढूंढ़    लिया  , बंद   आँखों   में ,
सब   खोज   रहे  शोर  कर , पिया - पिया -  पिया !
--------------------------------------- तनु थदानी