रविवार, 25 मार्च 2012

सन्नाटे का शोर hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3{ तनु थदानी }

करूँ  मैं  पूजा  कहाँ  जो  तुमने ,  प्यार  का  मंदिर  तोड़  दिया  है !
मेरे   अंध - भरोसे   को   भी  ,  बीच   सड़क   पे    छोड़   दिया   है !!

दर्द  को  मेरे  पढ़ते -पढ़ते , शब्द   भी  सारे   बिलख   पड़े    हैं ,
क्यूँ  मेरे  दुःख  के  किस्सों   में , अपमानो   को  जोड़   दिया  है !! 

तुमने  प्यार  तो  तन  से  ढूंढा ,कैसे  मिल  पाता  फिर  दिल  से ,
नहीं  खुलेगा अब  ये  दिल  जो , लाखों  तह  तक   मोड़  दिया  है !!

नैतिकता  की  तोड़  चौहद्दी  ,  नर- मादा  सब   विचर   रहें    हैं,
नई  सदी  ने    ऐसा  किस्सा  ,  हर   घर   में  हर  ओर  दिया  है !!

नहीं  हैं  सुनते  इक दूजे   को  ,  नहीं  समझते   दिल  की  बातें ,
हे   ईश्वर   क्यूँ   ऐसा   तुमने  ,  सन्नाटे   का   शोर   दिया   है ??

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