कोई तुमको,कोई मुझको ,इक दूजे से डराता है !
कहीं हम एक ना हो जायें , वो इससे खौफ़ खाता है !
कोई बोले जो वंदे मातरम,न बोलना, समझो ,
तुम्हारी माँ की वो इज्जत न करता , ये बताता है !
मुसलमां क्या,वो इंसा तक, भी होने के नहीं काबिल,
बता के अल्लाह की मर्जी,जो गोली को चलाता है !
खुदा है बाप हम सबका , उसे रिश्वत न लागे है ,
मगर इंसान लड्डू चादर का ,मस्का लगाता है !
हमारे देश के आंसू , अजायबघर में रक्खे हैं ,
मेरी आंखों में सुख का ऐसा सपना , झिलमिलाता है !
कहीं हम एक ना हो जायें , वो इससे खौफ़ खाता है !
कोई बोले जो वंदे मातरम,न बोलना, समझो ,
तुम्हारी माँ की वो इज्जत न करता , ये बताता है !
मुसलमां क्या,वो इंसा तक, भी होने के नहीं काबिल,
बता के अल्लाह की मर्जी,जो गोली को चलाता है !
खुदा है बाप हम सबका , उसे रिश्वत न लागे है ,
मगर इंसान लड्डू चादर का ,मस्का लगाता है !
हमारे देश के आंसू , अजायबघर में रक्खे हैं ,
मेरी आंखों में सुख का ऐसा सपना , झिलमिलाता है !
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