सोमवार, 4 नवंबर 2013

tanu thadani ऐ भारत मां

उसे  नेता  क्यूं कहते हो , क्यो  भूले अपने  छालों   को  ?
हमारे  हाथो ही  दे  मारा है  , हमारे  गालों   को  !


यही  कुनबा  है बेशर्मो  का , जिसने  मां  को  ही  लूटा ,
पहन खादी यहाँ सहलाते , लफंगो सा  बालों को !


सलामत हैँ सभी संदर्भ,  जिसकी आड़ ले ले कर,
वो  लेता  छीन  मेरे  भूखे , बच्चो के निवालो  को !

उसे  ठग कहने   वाले , हैं  गलत  ये मैं भी कहता  हूं ,
हैं वो  कातिल कतल करता , हमारे  भोले भालो  को !

समूचे  घर  की सम्पति को वो , घुन  बन के खा  गये ,
कि हम तो  देखते ही  रह  गये , बस  लटके  तालो को !

वो अपनी आत्मा को बेच  के भी , फिर रहें  भूखे ,
वो  बेचेगें  जरूर देखना , अब  अपनी खालों  को !

ऐ भारत मां ! हम ही ने चोर,  संसद मे बिठाये हैं ,
जो  सीना ठोक के अंजाम,  देते  हैं  घोटालों  को !

कि  संसद जब  हमारी भोर  का कानून  इक देगी ,
पियेगें भर के  तब उस भोर में , जीवन  के प्यालों को !

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