बहरों की महफ़िल में देखो , कैसे बात बताता हूँ !
गूंगा बन के हाथ- शक्ल से , मुद्रा खूब बनाता हूँ !
जिस दिन दोस्त बना ईश्वर का,खुद ही से मैं बिछुड़ गया,
बहका - बहका हूँ रहता सो , नहीं किसी को भाता हूँ !
नींद भी मेरी स्वप्न भी मेरे ,सब मुझको ठग जातें हैं ,
प्यार हूँ करता जिनसे उनसे ,स्वत : स्वतः ठग जाता हूँ !
मुझे न बनना चाँद कि जिसको ,खाती एक अमावास है ,
सूरज हूँ मैं रोज डूब कर , लौट - लौट के आता हूँ !
मेरे दुख में शामिल होना , बड़ा सा उत्सव होता है ,
अपने दुःख में हंसता हूँ मैं , सबको खूब हंसाता हूँ !
आओ मेरे आलिंगन में , प्रभु के प्यारों बिना हिचक,
कौन हो , क्यूँ हो , गले लगा के , यही तो बात बताता हूँ !
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