रविवार, 27 मई 2012

अजीब हूँ मैं आदमी hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी



जिन्दगी  के  खुशनुमा   पल ,खूब   तडके  रक्खे हैं !
है  निमंत्रण  आ  के  लूटो ,  मैने   धर  के  रक्खे  हैं !

जिन्दगी   में आ के मेरी , देख   तो तेरे   लिए  ही ,
पल   ख़ुशी के   इस जहाँ  से ,मैने लड़  के रक्खे  हैं !

तुम  इसे  गर  प्यार  मानो  , सब   हैं  तेरे  वास्ते ,
प्रार्थना  के  पात्र  में  , जज्बात   भर के   रक्खे हैं !

आँख  ने  मुझको   उड़ाया , स्वप्न  की  पतंग  पे ,
पैर  हैं  कि अब  तलक, धरती  पकड़ के  रक्खे हैं ! 

 अजीब  हूँ  मैं  आदमी  , हँसता  दुखों  के दरम्यां ,
 मुस्कान में ही गम तमाम,जज्ब कर के रक्खे  हैं !

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