फकत था दोष इतना ही ,.सरे बाज़ार पिट आया !
लगा अजान मंदिर में,भजन मस्जिद में क्यूँ गाया ?
जो मैने ये कहा अल्लाह का , अनुवाद है ईश्वर ,
किसी को मेरी भाषा का ,गणित ये छू नहीं पाया !
इबादत तुम इसे समझो , या समझो मेरी नादानी ,
बहुत थी भीड़ मंदिर में , सो बच्चे पार्क में लाया !
तमाम किस्म के थे फूल , उस प्यारे बगीचे में ,
तमाम फूल में ही बच्चो को , भगवान् दिखलाया !
सभी बच्चों ने आखिर ये कहा , बुद्धू हूँ मैं बुद्धू ,
किसी भी क्लास में उनको नहीं ,ये तो था बतलाया !
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