मैं अकेला हूँ मुझे , मुझसे मिला इक बार तू !
ए खुदा ग़लती से ही पर ,मुझ से तो कर प्यार तू !
शब्द की जिन - जिन सलीबों ,पे मेरा वजूद है ,
उन सलीबों में भरो , इस जिन्दगी का सार तू !
आत्मा से तुझको खोजा ,बस मिली बेचैनिया ,
जिस्म की गहराइयों में ,क्यूँ मिला हर बार तू !
तन्हाइयों के शोर में दी , अनकही विरक्तियाँ,
तू अगर ईश्वर है तो फिर ,कर न यूँ व्यवहार तू !
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