मैं तेरे खेल का हिस्सा हूँ , ईश्वर जुड़ के अर्पण से !
दिया तूने सभी कुछ है ,मगर लगता है बे-मन से !
दिए जो होंठ तो मुस्कान मेरी ,रख ली क्यूँ ईश्वर ?
तभी तो प्रेम हूँ करता , तुम्ही से, पूरी अनबन से !
मेरे आँगन नहीं चहकेगी चिड़ियाँ ,क्या मैं शापित हूँ,
दिला इस श्राप से मुक्ति ,या कर दो मुक्त जीवन से !
मैं तेरा ही चढावा हूँ , मैं तेरे पास आउंगा ,
बचा के मुझको रखना ,इस जमाने भर की जूठन से !
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