हूँ जरिया मैं अंजाम का , अंजाम नहीं हूँ !
पूरा घर हूँ कोई ईंट का , मकान नहीं हूँ !
जाता हूँ मैं भी दुःख में पिघल, मोम की मानिंद ,
पत्थर ना समझना कोई , बेजान नहीं हूँ !
कभी शायरी में मैं तुझे जो, ला नहीं पाया ,
सच ये भी है की तुमसे मैं , अनजान नहीं हूँ !
लगाईं हो कभी तोहमत तो मुझे,माफ़ कर देना
इंसान हूँ अदना सा मैं , भगवान नहीं हूँ !
किया जो प्यार मैंने ,प्यार , मिल नहीं पाया ,
अपने प्यार पे कायम हूँ मैं , नाकाम नहीं हूँ !
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