कंगाल था , इक नाम से ही ,इक खजाना हो गया !
तुझको बना मालिक मैं , बुद्धु से सयाना हो गया !
हाथों को उठा माँगते , सिर फोड़ते हर द्वार पे ,
सब ही तो है फिर ये तो खुद पे ,जुल्म ढाना हो गया !
मैं मिला मां को , मुझे बीबी मिली, बच्चा मिला ,
सब कह रहे जब तू मिला , तो मैं दीवाना हो गया !
सब ढुंढ रहे हैं तुझे , काशी से ले अजमेर तक,
अब खुद के भीतर ही गये ,जब इक जमाना हो गया !
जब मैं रहा मैं ही नहीं,फिर दुःख है क्या ओं दर्द क्या?
इस पार से उस पार बस, ये आना -जाना हो गया !
धर्मों की पकड़ से निकल, कोशिश की इंसा होने की
इंसान ज्यूं बनता गया , मैं सूफीयाना हो गया !
तेरी खुशी में गा रहा मैं , संग मेरे गा जरा ,
रोया दुःख में तु मेरे , यूं सुर मिलाना हो गया !
तुझको बना मालिक मैं , बुद्धु से सयाना हो गया !
हाथों को उठा माँगते , सिर फोड़ते हर द्वार पे ,
सब ही तो है फिर ये तो खुद पे ,जुल्म ढाना हो गया !
मैं मिला मां को , मुझे बीबी मिली, बच्चा मिला ,
सब कह रहे जब तू मिला , तो मैं दीवाना हो गया !
सब ढुंढ रहे हैं तुझे , काशी से ले अजमेर तक,
अब खुद के भीतर ही गये ,जब इक जमाना हो गया !
जब मैं रहा मैं ही नहीं,फिर दुःख है क्या ओं दर्द क्या?
इस पार से उस पार बस, ये आना -जाना हो गया !
धर्मों की पकड़ से निकल, कोशिश की इंसा होने की
इंसान ज्यूं बनता गया , मैं सूफीयाना हो गया !
तेरी खुशी में गा रहा मैं , संग मेरे गा जरा ,
रोया दुःख में तु मेरे , यूं सुर मिलाना हो गया !
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