दुःख जाग रहा गजलों में अब, मैं सोया किस्मत सिरहाने !
दिल ने खुद पे ले ली बातें , अब क्या होगा मौला जाने !
ये पीठ पे घाव हुआ कैसे ,कैसे किस पे इल्जाम रखुं ?
सब ही तो हंस के मिलें गले , कैसे बोलो अब पहचाने ?
मां तेरी प्यार की लोरी सा ,मासूम वो लम्हा ना मिलता ,
मां तेरी प्यार की लोरी सा ,मासूम वो लम्हा ना मिलता ,
अब मिलते हैं हर ओर यहाँ , बस छल के ही ताने -बाने !
हम अपनी अपनी गठरी में , दुःख लाख लिये फिरते रहते ,
हर दर पे गठरी खोल खोल, लगते हर इक को दिखलाने !
चल दुःख दे दे मुझको अपने , पर शर्त माननी होगी कि ,
तुझसे भी दुःख न पाये कोई, चाहे जाने या अनजाने !
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