रविवार, 29 दिसंबर 2013

tanu thadani करो जो इश्क तनु थदानी


जो  इंसान  हैं  चाहत  कभी , मरनी  ना  चाहिये !
करो जो इश्क  तो फिर आत्मा , डरनी ना चाहिये !

कई  काबिल  निकम्मे  क्यूँ   हुये , बर्बाद क्यूँ  हुये ,
भला क्यूँ आंखें आखिर इश्क में ,पड़नी ना चाहिये !

ये  मेरी  जिंदगी अकेले  मिलती , क्यूँ नहीं मुझसे ,
बहुत  सी  बातें  सरेआम  तो , करनी ना चाहिये !

गिलों के कप में हो शिकवे , पियुंगा लाख हो कड़वे ,
गिलों के कपों में तो जिद़ कभी , भरनी ना चाहिये !

ना पूछो खेलता क्यूँ  मैं यहाँ , तुकबंदियों के संग,
कोई भी आह दिल में देर तक,  सड़नी ना चाहिये !

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