उसे नेता क्यूं कहते हो , क्यो भूले अपने छालों को ?
हमारे हाथो ही दे मारा है , हमारे गालों को !
यही कुनबा है बेशर्मो का , जिसने मां को ही लूटा ,
पहन खादी यहाँ सहलाते , लफंगो सा बालों को !
सलामत हैँ सभी संदर्भ, जिसकी आड़ ले ले कर,
वो लेता छीन मेरे भूखे , बच्चो के निवालो को !
उसे ठग कहने वाले , हैं गलत ये मैं भी कहता हूं ,
हैं वो कातिल कतल करता , हमारे भोले भालो को !
समूचे घर की सम्पति को वो , घुन बन के खा गये ,
कि हम तो देखते ही रह गये , बस लटके तालो को !
वो अपनी आत्मा को बेच के भी , फिर रहें भूखे ,
वो बेचेगें जरूर देखना , अब अपनी खालों को !
ऐ भारत मां ! हम ही ने चोर, संसद मे बिठाये हैं ,
जो सीना ठोक के अंजाम, देते हैं घोटालों को !
कि संसद जब हमारी भोर का कानून इक देगी ,
पियेगें भर के तब उस भोर में , जीवन के प्यालों को !
हमारे हाथो ही दे मारा है , हमारे गालों को !
यही कुनबा है बेशर्मो का , जिसने मां को ही लूटा ,
पहन खादी यहाँ सहलाते , लफंगो सा बालों को !
सलामत हैँ सभी संदर्भ, जिसकी आड़ ले ले कर,
वो लेता छीन मेरे भूखे , बच्चो के निवालो को !
उसे ठग कहने वाले , हैं गलत ये मैं भी कहता हूं ,
हैं वो कातिल कतल करता , हमारे भोले भालो को !
समूचे घर की सम्पति को वो , घुन बन के खा गये ,
कि हम तो देखते ही रह गये , बस लटके तालो को !
वो अपनी आत्मा को बेच के भी , फिर रहें भूखे ,
वो बेचेगें जरूर देखना , अब अपनी खालों को !
ऐ भारत मां ! हम ही ने चोर, संसद मे बिठाये हैं ,
जो सीना ठोक के अंजाम, देते हैं घोटालों को !
कि संसद जब हमारी भोर का कानून इक देगी ,
पियेगें भर के तब उस भोर में , जीवन के प्यालों को !
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