बुधवार, 18 अप्रैल 2012

"मेरी माँ रो पड़ी" hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }





छिपाता  हूँ  मैं  जख्मो  को ,ये  आंसू  बोल  जाते   हैं  !
मेरे  अन्दर  की  पीड़ा  के ,वो  किस्से  खोल  जाते  हैं  !

जो  मैने  माँ को  बताया मैं  खुश  हूँ ,चिंता  न कर तू ,
मेरी माँ रो  पड़ी ,बोली की,  स्वर   क्यूँ  कंपकपाते  हैं ?

उन्हें तो  दुःख  से  मेरे है  नहीं  ,कुछ  लेना  या  देना ,
मगर  वो  आदतन  उन  घाव  में , ऊँगली   लगाते  हैं !

मुझे  बदनाम   करने   के   तरीके ,  दोस्तों  के   ये -
मैं  पहले  आदमी  अच्छा  था , सबको  ये  बताते  हैं !

यहीं इस उम्र  के जंगल  में ,हमने  खोया जो बचपन,
कि   पूरी   उम्र   काटी  पर , उसे  ना  खोज  पातें  हैं  ! 

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