सोमवार, 9 अप्रैल 2012

कहीं भी है अगर ईश्वर hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी },




जो  हमने  गलतियाँ  खोजी  , तो  वो  गुस्से  से हैं  भरे  !
उसे   क्यूँ   हम   खिलाएं  ,  जो  हमारी    काटते    जड़ें !


बहुत   आहत  हुआ   जनतंत्र ,  मेरे  देश   में  आ  कर ,
सभाओं  में    किया  जाता  है  नंगा  , शौंक   से    बड़े  !


जिन्होंने  कल  सदन  के ,सीने  चढ़  के, जूते-बाजी  की ,
उन्हे  बे-शर्म  कह  के  हम , सदन  में  दोषी  बन  खडे !


सुना   करते  थे  कि  उस  वृक्ष   तले , गुंडे   थे   रुकते,
कटा  वो वृक्ष ,बनी  संसद ,कि  हम  तो  फिर भी हैं  डरें !


समूचे  देश  में  विज्ञापनों  में  ,  कुछ   तो  गलत   है ,
हमारे  मौन  में  ही " हाँ" है  शामिल , किससे  जा  लड़े?


कहीं  भी  है  अगर  ईश्वर  , मुझे  बस  इतना   बता  दे ,
कि  पानी आँख  में गर ,हो  ना ,शरम  का  तो  क्या  करे  ??  

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