हम लिखते,दुःख की कविताएँ ,उनसे पूछो दुःख के माने !
जिन बच्चों ने, ओढ़ गरीबी , सपने अपने दुःख से साने !
मायूसी के बीहड़ वाले , बच्चों में मुस्कान कहाँ है ?
धूप ठंड और भूख के देखो , उलझ गयें सब ताने बाने !
कचरा बीने , ईटें ढ़ोये , बचपन आखिर कितना रोये ?
देश हमारा चला रहें हैं , अंधों में जो राजा काने !
बच्चों के लब खिलने वाली , हँसी हमारी पूंजी है जी ,
वही नहीं गंर देश में बोलो , रुपये - डाॅलर के क्या माने !
फुटपाथ पे पलता बचपन , देश के भावी कर्णधार हैं ,
उन तक तो न पहुँच सके पर, लगे चाँद पर आने - जाने !
बाल- मजूरी वाला चिंतन , होटल पांच सितारा में क्यूँ ?
गद्दी छोड़ो ओ राजा जी , नहीं चलेंगे और बहाने !
जिन बच्चों ने, ओढ़ गरीबी , सपने अपने दुःख से साने !
मायूसी के बीहड़ वाले , बच्चों में मुस्कान कहाँ है ?
धूप ठंड और भूख के देखो , उलझ गयें सब ताने बाने !
कचरा बीने , ईटें ढ़ोये , बचपन आखिर कितना रोये ?
देश हमारा चला रहें हैं , अंधों में जो राजा काने !
बच्चों के लब खिलने वाली , हँसी हमारी पूंजी है जी ,
वही नहीं गंर देश में बोलो , रुपये - डाॅलर के क्या माने !
फुटपाथ पे पलता बचपन , देश के भावी कर्णधार हैं ,
उन तक तो न पहुँच सके पर, लगे चाँद पर आने - जाने !
बाल- मजूरी वाला चिंतन , होटल पांच सितारा में क्यूँ ?
गद्दी छोड़ो ओ राजा जी , नहीं चलेंगे और बहाने !
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