रहो खुश तुमको मैं इस मुल्क का ,राजा बनाता हूँ !
मुझे दंगा नहीं देना , मैं ये झोली फैलाता हूँ !
यहाँ लायसेंस ले कर मौत का , व्यापार होता है ,
तहत कानून ये ज़ायज, तभी मैं तिलमिलाता हूँ !
मेरे घर के निकट, बाहर सड़क पे , दो दो ठेके हैं ,
मगर मैं दूध की खातिर तो , अगले चौक जाता हूँ !
महज़ घर गाँव का छोड़ा , यहाँ पे ये सजा पायी ,
वहाँ साइकिल चलाता था , यहाँ रिक्शा चलाता हूँ !
शहर की गली सड़को ने , मुझे जबरन बड़ा किया ,
मैं घर में माँ के संग, मासूमियत में , लौट आता हूँ !
मुझे उल्लु कभी ईनाम क्यों , देंगे भला बोलो ?
जहां भी दिखता अंधेरा , वहीं दीपक जलाता हूँ !
न मीठी बात है , न लोरियां , न किस्से परियों के ,
कहीं तुम सो न जाओ, इसलिए ग़ज़लें सुनाता हूँ !
मुझे दंगा नहीं देना , मैं ये झोली फैलाता हूँ !
यहाँ लायसेंस ले कर मौत का , व्यापार होता है ,
तहत कानून ये ज़ायज, तभी मैं तिलमिलाता हूँ !
मेरे घर के निकट, बाहर सड़क पे , दो दो ठेके हैं ,
मगर मैं दूध की खातिर तो , अगले चौक जाता हूँ !
महज़ घर गाँव का छोड़ा , यहाँ पे ये सजा पायी ,
वहाँ साइकिल चलाता था , यहाँ रिक्शा चलाता हूँ !
शहर की गली सड़को ने , मुझे जबरन बड़ा किया ,
मैं घर में माँ के संग, मासूमियत में , लौट आता हूँ !
मुझे उल्लु कभी ईनाम क्यों , देंगे भला बोलो ?
जहां भी दिखता अंधेरा , वहीं दीपक जलाता हूँ !
न मीठी बात है , न लोरियां , न किस्से परियों के ,
कहीं तुम सो न जाओ, इसलिए ग़ज़लें सुनाता हूँ !
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