मैं अपने दुश्मनो को, यूं भी सज़ा देता हूं !
हमेशा खुश लगा रहता हूं,मुस्का लेता हूं !
तू मुझ पे आंख मूंद, कर लो भरोसा बंधु,
न कोई मंत्री हूं , ना मैं कोई नेता हूं !
मुझे उस रब ने बनाया है,संभालेगा वही ,
बड़े आराम से , कागज की नाव खेता हूं !
किरायेदार मेरे , मुझसे ही मांगे किराया,
अजीब शख्स हूं,अब तक भी नहीं चेता हूं !
मेरी खुशियों के ख़जाने का पता ,जो पूछे,
उसे मैं घर में अपनी , माँ से मिला देता हूँ !
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