रविवार, 2 सितंबर 2012

मुझसे ना छिपाना hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


सोया   नहीं  था  रात  भर  , तकिया  है  गवाही !
जिस  पर  से  सिलवटों की  नमी, सूख न पायी !

जिसने  मेरे  विश्वास  को , दम  घोंट  के  मारा ,
क्यूँ    उसके  लिए  रो  के ,  सारी  रात   बिताई ?  

सब  दूर  से   देना  दुआ ,पर   साथ  न   आना ,
मैं  जिस  सफ़र पे हूँ वहां ,मंजिल  है  इक खाई !

कुटिया  में  रोती  एक , बूढी  सी   मेरी  आशा ,
सुराख  कर  के  छत  पे  ,वहां   रौशनी   लायी !

उस  रौशनी  के  साथ  ही, अंधर  जो इक  आया ,
उसमे  ही  शख्सियत  थी  मेरी , बन  गई  राई !

धोखे  की  इक  दरार थी  , झाँका   तो  मर गया ,
था  नग्न  मैं , वजूद  पे   थी ,  जम   गई  काई  !

तुम  मेरे  किस्सों  में , क्यूँ ,खुद को  ढूंढ़  रहे हो ,
मुझसे  ना   छिपाना , जो  आँखे   डबडबा  आई !




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें