शनिवार, 8 सितंबर 2012

इसी को प्यार हैं कहते hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }



हूँ   कश्मकश    में   चुप   रहूँ  , या   रोऊँ  अभी !
छिपा  के  दोस्त  इक  छुड़ा , गले  लगेगा अभी !

लिखूं  गज़ल  में  बार -बार,  प्यार कर  के जीयो ,
वो अंधा  अक्ल का क्या,पढ़  भी सकेगा ये कभी ?

बड़ी   मासूमियत  के   साथ , वो  नाराज़   है  यूँ  ,
बताता  है  कि  क्यूँ  न  हो ,यहाँ   अपने  हैं सभी !

क्यूँ  जिसे दिल  से ज़ुदा  कर ,  पीछे छोड़ आया ,
महकता  है  मेरी साँसों  में ,अब  भी  कभी-कभी!

इसी  को  प्यार  हैं   कहते , ये  ही  महसूस  किया ,
निकल के दिल  से वो साँसों  में, बस गया है तभी !

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