जिद की सलीब पे लटक के , जो कोई जीया !
न दोस्त ना ही रब मिला ,जीवन खतम किया !
वो दोस्त मेरी सादगी पे , यूँ फ़िदा हुआ ,
मिलता रहा फिर आँख से , काजल चुरा लिया !
हम दोस्तों को प्यार यूँ , करना सिखायेंगे ,
ज्यों दूध में चुपके से ही , चीनी मिला दिया !
हर जानवर भी जिस्म से , खुशियाँ बटोरे हैं ,
जिस्मों से मोहब्बत किया,तो क्या अलग किया ?
गिरना ही है तो रब की ,मोहब्बत में गिर के देख,
इसमें वफ़ा मिलेगी ये , वादा रहा मियाँ !
मैंने तो पिया ढूंढ़ लिया , बंद आँखों में ,
सब खोज रहे शोर कर , पिया - पिया - पिया !
"girna hi hai to rab ki mohabbat me gir ke dekh,isme vfa milegi ye vayda rha mian"gehra bhaw liye behad khoobsurat rachna,tanu ji sunder likhne ke liye badhai.
जवाब देंहटाएंAmar Tak je,धन्यवाद !
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