सोमवार, 5 अगस्त 2013

मिलो इक बार, hey eshwar-3 (tanu thadani) milo ik baar, हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }

हमें  ना  पूछना  कि  हँस  नहीं , क्यूँ  पा  रहें  हैं !
हमें   गुजरे   जमाने  याद ,  बरबस   आ  रहें  हैं ! 

किसी  से  मिल के बिछड़ने  से  मिला खालीपन ,
तमाम  जश्न  उसे  क्यूँ  नहीं,  भर   पा  रहें   हैं  ?

जिन्होंने बस  किया व्यापार, हर इक  सूरते-हाल,
वो  हमको प्यार  वाला फ़लसफ़ा,  समझा रहें हैं !  

यूँ  की  तौहीन, जिस्मो  से  हमारा , इश्क तौला ,
हमारे  इश्क  पे  क्यूँ  यूँ  क़हर ,  बरपा   रहें   हैं ? 

मिलो इक बार मकसद हो भले ,बिछड़न ही सही ,  
कतल  उस ख्वाब का कर डाल ,जो  घबड़ा रहें हैं !

कभी  हिंदू  मुसलमा  बन  के , फिरे  थे  यहाँ  पे  ,
तुम्हारे  इश्क   में   इंसान   बनते   जा  रहें   हैं  !

तू  मस्जिद जा,मेरे लिये तो ख़ुदा, वो  ही है  बस ,
मेरे  महबूब  की  अच्छी  ख़बर ,जो  ला   रहें  हैं !

कभी वो दिन भी न आये , कि  हंसू  बिन  तेरे  मैं ,
जमीं  पे  मछलियों   सा  देख ,  छटपटा  रहें   हैं !


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