भली आदत थी वो मेरी , वो आँखे बंद रखने की !
सबों से कट गया मैं जब लगी , आदत परखने की !
खफ़ा थे लोग उनकी शक्ल जो ,उनको ही दिखलायी ,
गलत आदत थी वो मेरी , आईना साथ रखने की !
सदा सच बोलना बेटा , मगर बेटे ने समझाया ,
बुरी आदत है ये मेरी , यही इक बात बकने की !
अब रोयें या कहो हँस दे ,हमें भत्ता तो मिलता है ,
हमें सरकार ने दी नौकरी , है धूल फँकने की !
या कोई मार दे या गाली दे , हम चुप ही रहते हैं ,
कहानी है पुरानी जोश औं , जज्बे फड़कने की !
हमारा दोष ही कह लो ,कि हम विश्वास हैं करते ,
छकाते सुख हमें क्यूँ कि,हमें आदत है छकने की !
सबों से कट गया मैं जब लगी , आदत परखने की !
खफ़ा थे लोग उनकी शक्ल जो ,उनको ही दिखलायी ,
गलत आदत थी वो मेरी , आईना साथ रखने की !
सदा सच बोलना बेटा , मगर बेटे ने समझाया ,
बुरी आदत है ये मेरी , यही इक बात बकने की !
अब रोयें या कहो हँस दे ,हमें भत्ता तो मिलता है ,
हमें सरकार ने दी नौकरी , है धूल फँकने की !
या कोई मार दे या गाली दे , हम चुप ही रहते हैं ,
कहानी है पुरानी जोश औं , जज्बे फड़कने की !
हमारा दोष ही कह लो ,कि हम विश्वास हैं करते ,
छकाते सुख हमें क्यूँ कि,हमें आदत है छकने की !
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