तुम्हारी फ़िक्र तो ,जीने की इक तमीज़ है !
तुम्हारा जिक्र भी ,साँसों सी ही इक चीज़ है !
तु धागा प्रेम का बन , मुझमे सिली जाती हो ,
मेरा जीवन तो महज़ , इक फटी कमीज़ है !
कई रूतबों को पार कर के , तेरे पास हूँ मैं ,
तू मेरा लक्ष्य थी और , अब मेरी तहजीब है !
करोड़ो बार कत्ल हो के भी , हम मुस्कुराये ,
हमारे रक्त में , उल्लास वाले बीज हैं !
हमारा प्रेम जो रिश्ते का है , मुहताज़ नहीं ,
हमारा हर मिलन त्योहार है , औं तीज है !
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