शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

प्रेम - प्रेम हम चिल्लाते हैं -hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }prem prem ham chillate hain


लिपट मैं रोया ,रात  समूची ,थी वो  प्रेम  के शव की काया !
विश्वासों  के  सन्नाटे  में  , धोखे  ने   था  मार   गिराया  !

प्रेम - प्रेम  हम  चिल्लाते  हैं , खुद  से  भी तो  प्रेम  नहीं  है , 
पूरा जीवन  बिता  दिया यूँ , बहरों  बीच  ज्यों गाना  गाया !

चुम्बन  से आलिंगन  तक तो ,बस  गर्मी थी  साँसों  की ही ,
बरसों  उलझा रहा इसी  में ,प्रेम कहाँ  था  समझ ना पाया !

लगता  तो वो  साथ था मेरे ,मरा अचानक  क्यूँ  कर  कैसे 
मंडप  से  भजनों तक पूछा , प्रेम  ने आखिर क्या था खाया ? 

शाम  के  आँगन  पसरी  बूढ़ी , हड्डी  के  ढाँचे  ने  रो  कर ,
कहा सफ़र हो गया ख़तम  अब ,कर दे ईश्वर प्रेम की छाया !


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