हमें अफ़सोस है कि क्यूँ भला , हमने ये कर डाला !
जिसे था सींचा उम्र भर ,वो पौधा था ज़हर वाला !
हमारे ऐश के तो सब तरीके , हो गयें बे- शर्म ,
ख़बर है खून से अपने ही उसने , मुंह किया काला !
हमारी इस सदी ने जिस्म की , आयु बढ़ा तो दी ,
मगर जो आत्मा इसमें थी ,उसको मार ही डाला !
उसे तो बस हड्पनी थी जमीं , मंदिर के नाम पे ,
उसे क्यूँ दीखता कि ठीक उसके , नीचे है नाला !
उसे रोज़ी कमानी थी , तभी मंदिर बनाया है ,
करिश्मा देखिये की उसने इक , भगवान भी पाला !
हमें नंगे दिलों से दौड़ कर , जिनसे लिपटना था ,
झिझक के लौट आये ,मन्दिरों में देख के ताला !
समझ में आया हमको देर से , कि पास है मेरे ,
रहा मैं ढूंढ़ता जिसको , लिये दीपक लिये माला !
जिसे था सींचा उम्र भर ,वो पौधा था ज़हर वाला !
हमारे ऐश के तो सब तरीके , हो गयें बे- शर्म ,
ख़बर है खून से अपने ही उसने , मुंह किया काला !
हमारी इस सदी ने जिस्म की , आयु बढ़ा तो दी ,
मगर जो आत्मा इसमें थी ,उसको मार ही डाला !
उसे तो बस हड्पनी थी जमीं , मंदिर के नाम पे ,
उसे क्यूँ दीखता कि ठीक उसके , नीचे है नाला !
उसे रोज़ी कमानी थी , तभी मंदिर बनाया है ,
करिश्मा देखिये की उसने इक , भगवान भी पाला !
हमें नंगे दिलों से दौड़ कर , जिनसे लिपटना था ,
झिझक के लौट आये ,मन्दिरों में देख के ताला !
समझ में आया हमको देर से , कि पास है मेरे ,
रहा मैं ढूंढ़ता जिसको , लिये दीपक लिये माला !
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