जन्नत को घर में टांका ,रब तू बना जो धागा !
तू माँ में मेरी दिखता , ये सोने पे सुहागा !
ये नाम के मसले पे , क्यूँ लोग हैं झगड़तें ,
मैंने तो जो भी मांगा , बस हाथ जोड़ माँगा !
चालाकियों में अपनी , हम दर्ज तुझे करते ,
हमसे कहीं है बेहतर, वो काला काला कागा !
भजनों की लय न जानु, नमाज वजू क्या है ?
वो पल दीवाली ईद है , जब नींद से मैं जागा !
न बैट्री न बिजली , फिर भी है हम में ऊर्जा ,
तेरा ही करिश्मा ये , जो बूझा न, अभागा !
हर साँस से तू आता , हर साँस से तू जाता ,
फिर भी युगों -युगों से तुझे खोजते हैं गा गा !
मंदिर हो या हो मस्जिद, या चर्च, सब हैं मंडी ,
तू रोज वहाँ बिकता , सालों से बिना नागा !
हमें शर्म क्यूँ न आती ? थोड़ी तो शर्म दो ना ,
तुझको ही बेच खाते , ये कैसा रोग लागा ??
तू माँ में मेरी दिखता , ये सोने पे सुहागा !
ये नाम के मसले पे , क्यूँ लोग हैं झगड़तें ,
मैंने तो जो भी मांगा , बस हाथ जोड़ माँगा !
चालाकियों में अपनी , हम दर्ज तुझे करते ,
हमसे कहीं है बेहतर, वो काला काला कागा !
भजनों की लय न जानु, नमाज वजू क्या है ?
वो पल दीवाली ईद है , जब नींद से मैं जागा !
न बैट्री न बिजली , फिर भी है हम में ऊर्जा ,
तेरा ही करिश्मा ये , जो बूझा न, अभागा !
हर साँस से तू आता , हर साँस से तू जाता ,
फिर भी युगों -युगों से तुझे खोजते हैं गा गा !
मंदिर हो या हो मस्जिद, या चर्च, सब हैं मंडी ,
तू रोज वहाँ बिकता , सालों से बिना नागा !
हमें शर्म क्यूँ न आती ? थोड़ी तो शर्म दो ना ,
तुझको ही बेच खाते , ये कैसा रोग लागा ??
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