सोमवार, 27 अक्तूबर 2014

tanu thadani तनु थदानी नेता हैं हम

हमने अपनी बुद्धि , कमल या ,हाथ बना कर रक्खी है !
तभी तो हिस्से अपने केवल ,  मात बना कर रक्खी है !

नहीं कोई इंसान यहाँ है , हिन्दू - मुस्लिम- सिख यहाँ ,
राजनीति  के  आड़े  ऐसी , घात  बना  कर  रक्खी  है !

तुम जनता हो कमियाँ मेरी,गिन-गिन अपनी उमर भरो ,
नेता हैं  हम, हर कमियों  पे , बात  बना कर रक्खी है !

कोई  जर्मन  शेफर्ड   है  तो , कोई  पामोलिन  यहाँ ,
हमने तो भई, कुत्तों  में  भी , जात बना कर रक्खी है !

घोड़े अब गदहों से मिल कर,आलस का व्यापार करें ,
उल्लु से मिल चमगादड़ ने , रात  बना कर रक्खी है !


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