हमने अपनी बुद्धि , कमल या ,हाथ बना कर रक्खी है !
तभी तो हिस्से अपने केवल , मात बना कर रक्खी है !
नहीं कोई इंसान यहाँ है , हिन्दू - मुस्लिम- सिख यहाँ ,
राजनीति के आड़े ऐसी , घात बना कर रक्खी है !
तुम जनता हो कमियाँ मेरी,गिन-गिन अपनी उमर भरो ,
नेता हैं हम, हर कमियों पे , बात बना कर रक्खी है !
कोई जर्मन शेफर्ड है तो , कोई पामोलिन यहाँ ,
हमने तो भई, कुत्तों में भी , जात बना कर रक्खी है !
घोड़े अब गदहों से मिल कर,आलस का व्यापार करें ,
उल्लु से मिल चमगादड़ ने , रात बना कर रक्खी है !
तभी तो हिस्से अपने केवल , मात बना कर रक्खी है !
नहीं कोई इंसान यहाँ है , हिन्दू - मुस्लिम- सिख यहाँ ,
राजनीति के आड़े ऐसी , घात बना कर रक्खी है !
तुम जनता हो कमियाँ मेरी,गिन-गिन अपनी उमर भरो ,
नेता हैं हम, हर कमियों पे , बात बना कर रक्खी है !
कोई जर्मन शेफर्ड है तो , कोई पामोलिन यहाँ ,
हमने तो भई, कुत्तों में भी , जात बना कर रक्खी है !
घोड़े अब गदहों से मिल कर,आलस का व्यापार करें ,
उल्लु से मिल चमगादड़ ने , रात बना कर रक्खी है !
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