रविवार, 3 अगस्त 2014

tanu thadani तनु थदानी हम नासमझ थे.

हम नासमझ थे धर्म की , बातों पे अड़ गये !
कंगले रहें हम, नेता जी के , घर ही भर गये !

बच्चे  को  ना  पढ़ा सके , न घर ही बनाया ,
टोपी तिलक के नाम ही , जीवन ये कर गये !

 हमारी  गरीबी  का  यही ,  अर्थशास्त्र   है ,
लड़े  बन  के  पशु  हम, पशु  खेत  चर गये !

गाजा में मरने वाले  या , कश्मीर  में पंडित,
दोनों  जगह  इंसान  थे , इंसान  मर  गये !

ईश्वर  हमारा  है   ,और  अल्लाह  तुम्हारा ?
कैसे  हमारी  अक्ल  पे ,पत्थर ये पड़ गये ??
----------------------    तनु थदानी


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