अल्लाह की ही सांसे हैं, मैं अल्लाह का बच्चा !
अल्लाह का सब खेल है , क्यूँ खा रहे गच्चा ?
पैदल क्यूँ अकल से फिरे , धर्मों की सड़क पर,
लिख पढ़ के भी तू क्यूँ रहा ,है अक्ल से कच्चा ?
जो माँ की पूजा करते ही , काफिर मुझे कहा ,
मुसलमान तुम अच्छे रहो ,काफिर ही मैं अच्छा !
ये सर- बदन- दिमाग-जात, सब वतन की है ,
जीया जो वतन के लिये , इंसान वो सच्चा !
अल्लाह का सब खेल है , क्यूँ खा रहे गच्चा ?
पैदल क्यूँ अकल से फिरे , धर्मों की सड़क पर,
लिख पढ़ के भी तू क्यूँ रहा ,है अक्ल से कच्चा ?
जो माँ की पूजा करते ही , काफिर मुझे कहा ,
मुसलमान तुम अच्छे रहो ,काफिर ही मैं अच्छा !
ये सर- बदन- दिमाग-जात, सब वतन की है ,
जीया जो वतन के लिये , इंसान वो सच्चा !
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