तुम इत्र लगाओ हम कुमकुम !
इक जैसे ही तो हैं हम - तुम !
हम रोते भी तो इक सा हैं ,
चाहे मैं हिन्दू मुस्लिम तुम !
हंसते हैं हंसी भी इक जैसी ,
मरते हैं तो हो जाते गुम !
बुद्धु हैं तभी तो शासक ने,
माना हमको बस एक हुजुम !
जब शक्ल हमारी इंसा सी ,
आदत से क्यूँ कुत्ते की दुम !
इक जैसे ही तो हैं हम - तुम !
हम रोते भी तो इक सा हैं ,
चाहे मैं हिन्दू मुस्लिम तुम !
हंसते हैं हंसी भी इक जैसी ,
मरते हैं तो हो जाते गुम !
बुद्धु हैं तभी तो शासक ने,
माना हमको बस एक हुजुम !
जब शक्ल हमारी इंसा सी ,
आदत से क्यूँ कुत्ते की दुम !
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