किसी जलसे में मिलना फिर बिछड़ना , ये ही जीवन है !
किसी के दिल के कोने में ठहरना , ये ही जीवन है !
मुझे मालूम है गढ्ढे मिलेंगे , राह में अक्सर ,
मुझे है प्यार से गढ्ढों को भरना , ये ही जीवन है !
बने तो वृक्ष फूलों का , सभी को छाँव भी तो दें ,
महकना अंततः फूलों सा झड़ना , ये ही जीवन है !
हाँ ! मेरी माँ ने मेरे नाम की , तस्वीर रच डाली ,
अब मेरा काम उनमें रंग भरना , ये ही जीवन है !
जिन्होंने गोद में हमको खिलाया , वो हैं अब बेबस,
उन्हें बच्चों के भाँति प्यार करना , ये ही जीवन है !
बहुत ही खूबसूरत सुंदर रचना...!
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