वो घर था जिसमें मेरा , वो मकान पी गई!
इज्जत भरे बाजार, छान - छान पी गई!
पीते पिलाते थे जिसे, सम्मान समझ कर,
बोतल वो मेरी मेरा ही, सम्मान पी गई!
छोटी खुशी समझ के जिसे, घर में लाया था ,
बेटी की खुशी बीबी की वो , जान पी गई!
टोपी बड़ी थी सर पे मगर, ये गजब हुआ,
छोटी सी बोतल पूरी , आन -बान पी गई!
ठेका था लोग पीते थे, इक दिन पता चला ,
पूरा मुहल्ला मुई वो, दुकान पी गई !
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