मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

tanu thadani हम इतने तन्हा बैठे हैं तनु थदानी


मत पूछ क्यूँ उकड़ू लेटे हैं !
दीवाल ने  कमरे  फेंटे  हैं !

ग़ज़लें मेरी मेरे दुःख का ,
पूरा  संसार  समेटे  है !

उकताई  यूं  अब  तन्हाई,
खामोशी  लिये  लपेटे  है !

हर मिनट की साँसे गिनते हैं ,
हम  इतने  तन्हा  बैठे  हैं  !

मेरे घर बीच दीवाल  उठी ,
क्यूँ  कि  मेरे  दो  बेटे  हैं !

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