माँ ने अब तक पूछा ही नहीं
--------------------------------
दुःख से जब मैं घिर जाता हूँ , ना रोता ना चिल्लाता हूँ !
चुपचाप मैं माँ के कमरे में , जा माँ को खूब हँसाता हूँ !
माँ हँसती भी है , कहती भी है , साथ वो हर पल है मेरे,
सब जान ये माँ कैसे लेती , मै कभी समझ न पाता हूँ !
इक जादू ही तो है , सर पे , जब हाथ मेरी माँ रखती है ,
दुःख छू मंतर हो जाते हैं , इक बच्चे सा बन जाता हूँ !
मेरी खुशियों को ,सपनों को ,वो अपना लक्ष्य बना लेती,
माँ मेरी मुझे बताती है , मैं खुद का भाग्य विधाता हूँ !
बीबी - बच्चे सब यार -दोस्त, पूछा करतें हैं घुमा-फिरा,
माँ ने अब तक पूछा ही नहीं ,मैं कितना रोज कमाता हूँ !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें