मंगलवार, 7 मई 2013

न बनाना बुद्ध खुद को hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी },

प्रार्थनायें  हैं  जरुरी ,  काम  लेकिन ना  करें  क्यूँ  ? 
उम्र  वाली  बाल्टियां  ,हम  निरर्थक  यूँ  भरें  क्यूँ  ?

न  बनाना  बुद्ध  खुद  को ,घर  कभी  न  छोड़ना तू ,
ध्यान  में असंख्य गढ्ढे ,ये बताओ गिर  पड़े  क्यूँ ?

हारना  व  जीतना  तो , जिन्दगी   के  रंग  हैं  जी ,
रह गया अफ़सोस ये की,हारे आखिर बिन लड़े क्यूँ ? 

प्यार  का सन्देश ले कर , मैं  यूँ  ही  फिरता रहा कि ,
मौत निश्चित है तो आखिर,प्यार ही से ना मरे क्यूँ ?  







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें