प्रार्थनायें हैं जरुरी , काम लेकिन ना करें क्यूँ ?
उम्र वाली बाल्टियां ,हम निरर्थक यूँ भरें क्यूँ ?
न बनाना बुद्ध खुद को ,घर कभी न छोड़ना तू ,
ध्यान में असंख्य गढ्ढे ,ये बताओ गिर पड़े क्यूँ ?
हारना व जीतना तो , जिन्दगी के रंग हैं जी ,
रह गया अफ़सोस ये की,हारे आखिर बिन लड़े क्यूँ ?
प्यार का सन्देश ले कर , मैं यूँ ही फिरता रहा कि ,
मौत निश्चित है तो आखिर,प्यार ही से ना मरे क्यूँ ?
उम्र वाली बाल्टियां ,हम निरर्थक यूँ भरें क्यूँ ?
न बनाना बुद्ध खुद को ,घर कभी न छोड़ना तू ,
ध्यान में असंख्य गढ्ढे ,ये बताओ गिर पड़े क्यूँ ?
हारना व जीतना तो , जिन्दगी के रंग हैं जी ,
रह गया अफ़सोस ये की,हारे आखिर बिन लड़े क्यूँ ?
प्यार का सन्देश ले कर , मैं यूँ ही फिरता रहा कि ,
मौत निश्चित है तो आखिर,प्यार ही से ना मरे क्यूँ ?
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