रविवार, 19 मई 2013

मिला हमको वही आखिर hey eshwar-3 (tanu thadani) mila hamko wahi aakhir हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }

मेरे  तकिये  पे  मेरा  हाल  कल ,लिख  के  जो  मैं  सोया !
मैं  तो  सोया  रहा  बुत  सा ,वो  तकिया  रात  भर  रोया !

किसी  का   जिस्म  है  मैला  ,  किसी  की  आत्मा  मैली ,
मेरे  मौला, ये  मैलेपन  में  हमने , खुद  को  क्यूँ   खोया ! 

किया  खिलवाड़  जो  खुद  से , छिपाये  छिप  नहीं  पाया ,
गवाही   दाग   ने   दे   दी  , दुप्पट्टा   लाख   था    धोया  ! 

हजारो  छल  किये  यूँ  कि  , हमें  कुछ  और  मिल  जाये ,
मिला  हमको  वही   आखिर , जो  हमने  बीज  था  बोया !

नई  पीढ़ी  ने  हासिल  कर  ली  दुनियां ,इक  चमकती सी ,
गई  है  भूल  कि  एवज  में  उसने , क्या- क्या  है   खोया ! 

सोमवार, 13 मई 2013

tanu thadani तनु थदानी. जो उसकी बात वाजिब थी नहीं

हमें मिलता है बस उतना,वो जितना छोड़ देता है !
प्रजा   के  तंत्र   में  नेता  , प्रजा  को  तोड़  देता  है  !

हमीं  ने चुन के  भेजा सो , हमें चुपचाप  है  सुनना ,
वो  खुल्लेआम चुन-चुन  गालियाँ , बेजोड़  देता  है !  

हम  सीधी  बात  जब  उससे,हमारी भूख की करते ,
हमें  सीधे   ही  वो  आतंक  से   ही , जोड़  देता  है !

हमारी  बात  संसद -सत्र  में , खुल    नहीं  पाती ,
हमारी  बात को   इतने  तहों   तक , मोड़  देता  है ! 

जो उसकी बात वाजिब थी नहीं,वो इसलिये अक्सर ,
झगड़ता,कुछ  नहीं  सुनता,महज  इक  शोर  देता  है !

हमारा  दर्द  इक   सा  है  मगर , वो  डाक्टर  देखो , 
उसे  कुछ  और  देता  है  , मुझे  कुछ  और  देता  है !

बुतों  को  तोड़  के भी वो , मुसलमां  बन नहीं  पाया ,
वो  काफिर  बात  में  ईमान  को  जो , छोड़  देता  है !    



शुक्रवार, 10 मई 2013

जो तुमसे प्यार हूँ करता hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }

तेरी मुस्कान  जो  मेरे  लिये  है , गीत  इक  छेड़े !
मधुर  संगीत  में  ढल ,मैं  रहूँगा ,जिस्म  में तेरे !

तुम्हे  गर  मैं  हटा  दूंगा ,जो  मेरी  जिंदगी  से तो ,
बचेगा  क्या  हमारे  पास , सिवाय  जिस्म के मेरे !

जो तुमसे प्यार हूँ करता,तेरी कमजोरियों  के संग ,
तभी  मंजूर  हूँ  करता  सभी , दुःख - दर्द  भी  तेरे !

सभी  कुछ  लूट जायेगा,ये वक्त ,तुमसे  सब तेरा,
कभी  ना   लूट  पायेगा , वो   मेरे , प्यार  के  घेरे  ! 

मंगलवार, 7 मई 2013

न बनाना बुद्ध खुद को hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी },

प्रार्थनायें  हैं  जरुरी ,  काम  लेकिन ना  करें  क्यूँ  ? 
उम्र  वाली  बाल्टियां  ,हम  निरर्थक  यूँ  भरें  क्यूँ  ?

न  बनाना  बुद्ध  खुद  को ,घर  कभी  न  छोड़ना तू ,
ध्यान  में असंख्य गढ्ढे ,ये बताओ गिर  पड़े  क्यूँ ?

हारना  व  जीतना  तो , जिन्दगी   के  रंग  हैं  जी ,
रह गया अफ़सोस ये की,हारे आखिर बिन लड़े क्यूँ ? 

प्यार  का सन्देश ले कर , मैं  यूँ  ही  फिरता रहा कि ,
मौत निश्चित है तो आखिर,प्यार ही से ना मरे क्यूँ ?  







शनिवार, 4 मई 2013

चलो जगाओ खुद कोtanu thadaniहे ईश्वर -3 तनु थदानी





ग़ज़ल 
----------------------------------------------------------------
हमने  सारा  शहर  बसाया ,बिल्डिंग - नाले - रोड  बनायें  !
मगर  प्रश्न  ये  रहा  अधूरा , आम  आदमी  कैसे   खाये  ? 

जंगल ने दी कुर्बानी , फिर  हम  क्यूँ   जंगली  बन बैठे  हैं ,
कॉलोनी  ने  खेत  चबायें  , कैसे  शहर  की   भूख  मिटायें ?

सीमाओं  की हलचल  से  है , हमें  भला  क्या  लेना - देना ,
हमें  हमारी  नींद  है  प्यारी , बेशक  कोई  आये-  जाये  !

किस्मत  से मानव तन पाया,किस्मत  से ये देश भी पाया ,
सब  पा जाते किस्मत से फिर,मेहनत से क्यूँ काम  बनायें ?

कहते  हैं  भगवान  मिलेगा , इसीलिये  हर गली-गली  में ,
कोई   घंटा   बजा  रहा  है , कोई  ख़ुदा - ख़ुदा  चिल्लाये  !

ज्यों ये घोषित किया की कुछ भी ,बिना परिश्रम नहीं मिलेगा ,
धर्म   के  ठेकेदारों  को ये , फूटी  आँख  सा जरा  ना  भाये !

चलो जगाओ खुद को ,आँखे , खोल  के  देखो  सपने  सारे ,
फल  हेतु  ही  कार्य  को  करना , गीता  का  अध्याय  बनायें !











गुरुवार, 2 मई 2013

सचमुच हम शर्मिंदा हैं hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }

खुश  ना  होना  जश्न  देख  कर,अक्सर  मौका  आता  है  !
मेरे  देश  में  गम  अक्सर  यूँ   , भेष  बदल   भरमाता  है !

बहरूपियों  की  एक  सल्तनत , राज  करे  हम लोगों  पे ,
मीठी  बातें   करता  है  फिर , अपनी   थूक  चटाता  है !

सचमुच  हम  शर्मिंदा  हैं , ऐ  सरबजीत  ये  सच  भी है ,
कि  राजनीति  का मारा  पानी ,मांग  भी तो ना पाता  है !

जो  संसद  को  चकला  बोला , सीधा  जेल  में  जायेगा ,
बोल  के  पगला  पगले  को क्यूँ ,मुहँ  अपना नुचवाता  है !

मेरे  प्यारे  भारत  का अब , और  बुरा  भी  क्या  होगा ?
संविधान  की  आड़ में  कुत्ता , शेरों  को नचवाता  है !

हे  ईश्वर ! अब  इंसानों  को  ,तू  ही आ  कर  ये  समझा ,
विदा  जो  होगा  दुनियां से तब , ले  कर क्या जा पाता  है ??