हमारी हो ना हो मर्जी , बहुत कुछ छूट जाता है !
हमारी उम्र - शक्ल को , समय ही लूट जाता है !
तुम्हारी ज़िद है ओखली , अहंकार है मूसल ,
तुम्हारे सामने जो तुमको , अक्सर कूट जाता है !
कई बरसों में जतनों से ,जो रिश्ता ठोस है बनता ,
वही रिश्ता महज इक बात से ही टूट जाता है !
गले मिलने में गंर संकोच हो , तो मुस्कुरा देना ,
महज मुस्कान से शिकवा- गिला सब फूट जाता है !
कहीं मेहंदी औ चंदा से भी , करवाचौथ है होता ?
सभी व्रत व्यर्थ हैं होते , जब साजन रूठ जाता है !
bahut sunder rachna hai tanu ji
जवाब देंहटाएंतुम्हारी ज़िद है ओखली , अहंकार है मूसल ,
जवाब देंहटाएंतुम्हारे सामने जो तुमको , अक्सर कूट जाता है !
बहुत खूब....