शनिवार, 3 नवंबर 2012

ऐसा क्यूँ नहीं कहते hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3 { तनु थदानी }


हमारे   "मैं "  के  पर्वत  से , रोजाना  हम   ही  तो  ढहते ! 
बताओ  अपनी "मैं " की जिद को, भला  क्यूँ  रहे सहते ?


हमें  जो - जो  पसंद   आता , वो हासिल  करने  को जीते ,
कि  जो  हासिल  है  उसके  साथ  ही , हम  क्यूँ नहीं रहते ?


कि  जब तुम  इक  ख़ुशी  पर , बार- बार  हंस  नहीं  पाते ,
बताओ  एक  ही  दुःख  पर   ,ये  आँसू  रोज  क्यूँ    बहते ?


तुम्हारे   साथ   माँ   रहती   है  , ऐसा   क्यूँ   जताते   हो  ?
क़ि  हम  सब  माँ  के  संग रहते  हैं,ऐसा क्यूँ नहीं कहते ??




1 टिप्पणी:

  1. "तुम्हारे साथ माँ........ ऐसा क्यूँ नहीं कहते?"
    अन्तिम पंक्तियाँ मर्मस्पर्शी है।
    www.yuvaam.blogspot.­com

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