मौत से बेहतर जगह, गंर हो तो बताना !
ऐ जिंदगी, निराश हूँ, ऐसे तो नचा ना !
जो खर्च कर तुझे,जमा किये वो क्या करुं ?
ऐ जिंदगी, ये घर तेरा , मेरा न ठिकाना !
ऐ जिंदगी,तू कील है, सब रो के चल रहे,
बचने का भी तो है नहीं, कोई भी बहाना!
पागल है वो, तेरे लिए, जो मौत से लड़ता,
सच मौत का आगोश है, बाकी है फसाना !
सारी उमर आंगन तेरे, हर दुख से खेलेंगे,
बस कोख से रो के न तू ,हसती हुई आना !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें