रविवार, 16 फ़रवरी 2025

गंर जो प्यार है्

पूरी ही है अपनी ये जमीं,गंर जो प्यार है !
मिलने पे हो आंखों में नमी, गंर जो प्यार है !

धड़कन तेरी सांसे मेरी, ऐसा वजूद हो ,
दुनियां, वहीं पे हो थमी, गंर जो प्यार है !

गलती से भी गलती हमारे, बीच में न हो,
खोजे भी, निकले न कमी, गंर जो प्यार है!

बारिश में भी देखे गये,   पूरे लिहाज से ,
सांसों में गरम बर्फ जमी, गंर जो प्यार है !

नभ में, समुद्र में या, जमीं में कहीं पे भी,
खोदे, मिल जाये हम ही , गंर जो प्यार है !




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